लेखनी प्रतियोगिता - हमारी बेकरारी
हमारी बेकरारी
दिल में जब से रहने लगे हो तुम,
कसम से,
धड़कने बढ़ने लगी हैं हमारी,
तुम्हारे प्यार और इज़हार का,
हुआ है कुछ यूं असर,
चारों ओर फैल गई,
नए अहसास की खुमारी,
कुछ कुछ खोए से रहने लगे हैं हम,
समझ से बाहर हो चली, ये दुनियादारी,
लोग कहते हैं,
प्यार छिपाए नही छिपता,
तभी शायद, सब समझने लगे हैं,
आंखों में झलकती, हमारी बेकरारी।।
प्रियंका वर्मा
20/7/23
Abhinav ji
21-Jul-2023 08:57 AM
Very nice 👍
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Gunjan Kamal
20-Jul-2023 10:49 PM
👏👌
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